२४ घन्टा लाईव संवाददाता / बैरकपुर / ९ नवम्बर:
वैधानिक रुप से सम्पन्न हो रहा है बंगाल में भाजपा का संगठनीय चुनावी प्रकृया। उसी तरह बैरकपुर सांगठनिक जिला का भी।
परंतु ईसबार यह प्रकिया भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है।
जानकारी के अनुसार बैरकपुर जिला के अंतरगत सभी २१ मंडल में नये सभापति चुनाव प्रकिया को १५ नवम्बर तक हर हाल में सम्पन्न कराना था चर्चा है कि वर्ततमान में राजनैतिक परिस्थितियों के आधार पर अधिकतर जगह सभापति बदले जाएंगे।
हलचल यहां तक है कि नये कमिटीयों में कुछ मुकुल समर्थकों को जगह मिल भी जाए वहीं अर्जुन समर्थकों को पर कोई विचार नहीं होगा।
इस वाबद तर्क दिया जा रहा है कि जिला या मंडल के किसी पद के लिए पार्टी में कम से कम ३ साल तक सकृय रहना अनिवार्य है।

यहां देखा जा रहा है कि अर्जुन सिंह अपने समर्थकों के साथ आठ महीने पहले ही पार्टी से जुड़े हैं।
पर ईससे पहले नियमों को ताख पर रखकर अर्जुन विरोधी नाम से परिचित भाटपाडा़ के नेता संतोष सिंह को जिला कमिटी के संपादक मंडली में जगह दिये जाने की घटना भी विद्यमान है।
ईससे ईस बात को पुनः बल मिलता है कि वर्तमान समय में भाजपा में होने के बावजुद पार्टी में अर्जुन विरोधी षड़यंत्र जारी है।

गौरतलब तृणमूल समय से ही अर्जुन और मुकुल के बीच “एक जंगल में दो शेर” का रिश्ता रहा है।
जबकि यह भी जगजाहीर है कि मुकुल के साथ नैहाटी विधायक पार्थ भौमिक के बिच का रिश्ता बिलकुल सब्यसाची दत्त की तरह ही है।
जब मुकुल भाजपा में आये थे और अर्जुन सिंह थे तृणमुल के साहसिक सिपाही तब देखा गया था मुकुल पुत्र बिजपुर विधायक को अलग-थलग पड़ते हुए। उनके घर के सामने से ही अर्जुन सिंह व प्रबीर सरकार के नेतृत्व में ढोल – तासे व “बाप-बेटा चोर है” के नारों के साथ तृणमुल कार्यकर्ताओं की रैली निकालते हुए।

उस समय एकमात्र पार्थ भौमिक ही शुभ्रांशु के साथ खड़े हुए और साहस दिये थे।
शायद उस वक्त शुभ्रांशु ने अपने संचालन (लीज) वाले कल्याणी एक्सप्रेस-वे पर का एक होटल पार्थ भौमिक को उपहार स्वरुप दिया था।
वर्तमान समय में मुकुल और अर्जुन पुनः एक दल यानी भाजपा में हैं। लेकिन आशंका के अनुरूप पर्दे के पिछे ठिक वैसे ही वाकया देखने को मिल रहे हैं। उसे आज 24ghontalive.com कर रहा है उजागर।
ज्ञात हो कि मुकुल राय भाजपा में अर्जुन से काफी पहले जुड़े और जुड़ने के साथ ही संगठन पर अपना प्रभाव डालना शुरु कर दिये। विशेष कर बैरकपुर जिला में भी।
अर्जुन को भी भाजपा में जुड़ते ही गद्दार को गुरु बोलते और कईबार मुकुल के घर बैठक करते हुए देखा गया। पर ईस लोकसभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए हुए बहुचर्चित मजदूर भवन भी एक बार मुकुल के दर्शन को तरसता रह गया।
अब बात है वर्तमान में चल रहे सांगठनिक चुनाव की।
सुनने में आ रहा था कि बैरकपुर भाजपा जिला के पदाधिकारी शासकदल तृणमुल के साथ सांठ-गांठ करके चल रहे हैं।
पर हमारे हाथ एक ऐसा सनसनीखेज तथ्य हाथ लगा है, जिससे ईस चर्चा को बल मिलता है।
हमारे पास एक महत्वपूर्ण भाजपा जिला नेता “देब कुमार घोष” का गुप्त व्हाट्सएप चैट का डिटेल मिला है। जिससे यह प्रमाणित होता है कि ईस बार तृणमुल विधायक पार्थ भौमिक के ईशारे पर ही सभापतियों का चयन तय है।
ईस चैट में भाजपा के जिला उच्चाधिकारीयों के भी सहमति के साथ साथ पार्थ भौमिक से दबाव एवं एक विशेष पैकेट-मिठाई का भी जिक्र है।

गौरतलब हो कि एक ओर DRO (Dist. Returning Officer) देब कुमार बाबु लम्बे समय RSS में रहे हैं तथा लोकसभा चुनाव के पुर्व ही भाजपा में सकृय हुए हैं।
दुसरी ओर पार्थ भौमिक तृणमुल में होते हुए भी मुकुल के करीबी माने जाते हैं।
अब राजनैतिक तौर पर ईन दोनों पहलुओं का आपस में संबंध है या नहीं ईसे देखना पार्टी के आला अधिकारियों का काम है।
पर हम ईस बात पर नजर बनाए हुए हैं कि आगे पार्टी क्या देब कुमार पर भरोसा जताती है या उनपर कोई कार्यवाही करती है।